Achievement : चंद्रमा पर इंसानों को बसाने के आर्टेमिस प्रोजेक्ट में शामिल हुए हल्द्वानी के अमित पांडे
Sucess Story of Amit Pandey
प्रसन्नचित्त डेस्क, हल्द्वानी : कुमाऊं का प्रवेश द्वार हल्द्वानी। इस छोटे से शहर के निकट गांव में पैदा हुए अमित पांडे (AMIT PANDY)। बचपन से मेधावी और इंजीनियरिंग का शौक रखते थे। जब वह इसी शहर से चांद को देखा करते होंगे तो उन्होंने तब सोचा भी नहीं होगा कि वह चांद में जाने वाली अंतरराष्ट्रीय ख्याति की नासा ( NASA: National Aeronautics and Space Administration) जैसी संस्था में काम करेंगे। लेकिन उनका जुनून ही था कि कभी हार नहीं मानी। मेहनत से कभी भागे नहीं। पढ़ाई को अपना ध्येय बनाया और लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। आज वह नासा में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर चयनित हो चुके हैं और अंतरिक्ष में इंसानों को बसाने वाली महत्वाकांक्षी योजना आर्टेमिस (ARTEMIS) का हिस्सा हैं। यह न केवल अमित के लिए व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि हल्द्वानी व उत्तराखंड (UTTRAKHAND)के साथ ही देश भर के लिए गर्व की बात है।
पिता शिक्षक व मां गृहणी, केवि से इंटर की पढ़ाई
30 जुलाई, 1979 में जन्मे अमित के पिता विपिन चंद्र पांडे महात्मा गांधी इंटर कालेज से सेवानिवृत शिक्षक हैं और मां सुशीला पांडे गृहणी हैं। अमित ने कक्षा 10 तक की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय कैंट और 12वीं की परीक्षा रायबरेली के केंद्रीय विद्यालय से की। तब हल्द्वानी केंद्रीय विद्यालय में इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई नहीं होती थी।
बीटेक बीचएयू से किया
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बीएचयू (BHU) से बीटेक करने के बाद अमित पांडे वर्ष 2003 में अमेरिका चले गए। उन्होंने 2005 में यूनिवर्सिटी आफ एरिजोना से मास्टर डिग्री, 2009 में यूनिवर्सिटी आफ मेरीलैंड से पीएचडी की की उपाधि हासिल की। अब तक वह अमेरिका की कई प्रसिद्ध कपंनियों में सेवा दे चुके हैं। महत्वपूर्ण अनुसंधानों को लेकर उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
अब बन गए आर्टेमिस का हिस्सा
अमित पांडे का चयन नासा में सीनियर साइंटिस्ट के पद पर हुुआ है। वह चंद्रमा में इंसानों को ठहराने वाली न्यू मून प्रोग्राम आर्टेमिस का हिस्सा होंगे। आर्टेमिस चंद्रमा में इंसानों को बसाने वाला अभियान है। वहां पर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराना है, जो व्यक्तियों को जिंदगी गुजर-बसर के लिए चाहिए होता है।
जंगल में साइकिलिंग से मिलती है मानसिक शांति
नासा के वैज्ञानिक अमित पांडे को बायोग्राफी पढ़ने का शौक है। नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) की बायोग्राफी उन्हें बहुत अच्छी लगती है। कहते हैं फिजिकल फिट रहने के लिए वह जिम जाते हैं, लेकिन जब वह जंगल में साइकिल चलाते हैं तो मानसिक शांति मिलती है। इसलिए वह सभी को प्रेरित करते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम व खेलकूद बहुत जरूरी है।
मोदी जी विदेश में रहने वाले भारतीयाें को देशसेवा के लिए करते हैं प्रेरित
ब्रेन ड्रेन (Brain Drain )यानी प्रतिभा का पलायन। यह शब्द भारत में काफी लोकप्रिय है। ऐसा इसलिए कि भारत में पढ़ने-लिखने के बाद उच्च शिक्षित व प्रशिक्षित युवा विदेश में नौकरी करने चले जाते हैं। वहां पर अपनी प्रतिभा के जरिये दुनिया में छा जाते हैं। ऐसे तमाम उदाहरण हैं। इस विषय पर बातचीत करते हुए अमित पांडे का अलग ही सोचना है। वह कहते हैं, अब ब्रेन ड्रेन के बजाय ब्रेन गेन ( Brain Gain) कहना चाहिए। क्योंकि विदेश में रहने वाले अप्रवासी भारतीय (NRI) भी भारत में अपनी सेवा देते हैं। हर किसी का सेवा करने का तरीका अलग है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM NARENDRA MODI)भी जब विदेश जाते हैं तो वह भी अप्रवासी भारतीयों से मिलते हैं। उन्हें भारत में निवेश के लिए प्रेरित करते हैं। अप्रवासी भारतीय इसका समर्थन भी करते हैं।
मकसद उत्तराखंड के युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना
वैसे तो अमित पांडे लंबे समय से अपने यूट्यूब् चैनल से देश-विदेश के युवाओं को कॅरियर के लिए निशुल्क परामर्श देते हैं। आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। वह बताते हैं, उनका मसद उत्तराखंड के युवाओं को आगे बढ़ना है। इसके लिए वह हमेशा प्रयासरत रहेंगे। आगे कहते हैं, ऐसा करने से वह सबसे अधिक खुशी महसूस करेंगे।
नालेज अब अमीरों तक सीमित नहीं
नालेज केवल अमीरों तक सीमित नहीं है। हर कोई आगे बढ़ने वाला स्टूडेंट्स इंटरनेट मीडिया का बेहतर इस्तेमाल कर ज्ञान में दुनिया में छा सकता है। अमित कहते हैं, एलन मस्क (ELON MUSK) भी कहा करते हैं कि अब छात्र-छात्राओं को स्कूल जाने की भी जरूरत नहीं है। यूट्यूब पर ज्ञान का खजाना पड़ा है। इसके बेहतर इस्तेमाल से आप दुनिया के हर विषय की गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
बहन आइटी प्रोफेशनल व बहनोई जेएनयू में प्रोफेसर
अमित की बहन अर्चना जोशी आइटी प्राेफेशनल है और उनके बहनोई जवाहन लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) दिल्ली में प्रोफेसर हैं।
यहां कर चुके हैं काम
रोल्स राॅयस, आेक रिज नेशनल लैबोट्री ओअारएनएल
जॉन्स हापकिन्स यूनिवर्सिटी जेएचयू
ये अवार्ड कर चुके हैं हासिल
अमेरिकन सेरेमिक सोसाइटी फ्यूचर लीड की ओर से टीएमएस यंग प्रोफेशनल अवार्ड
एएसएम इमजिंग प्रोफेशनल अवार्ड