गजोदर्शन

उन पुरुषों को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की बधाई, जो अपनी बात कह नहीं पाते

International Men's Day

सीधा सवाल है, समाज में क्या महिलाओं पर ही होता है अत्याचार? क्या महिलाओं का ही मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न होता है? जवाब है नहीं। समाज में मामले भले ही महिलाओं के ज्यादा उजागर होते हैं। कानून का पक्ष भी महिलाओं को लेकर ज्यादा सक्रिय है और चर्चा भी महिलाओं के विषयों की अधिक होती है, लेकिन पुरुष भी उतने ही पीड़ित, उपेक्षित, प्रताड़ित और अपमानित होते हैं। पर उनकी आवाज ठीक से सुनी नहीं जाती। या कई बार पुरुष अपनी बात खुलकर रख नहीं पाते। मन मसोसकर रह जाते हैं।
देहज उत्पीड़न को लेकर बना कानून इसका उदाहरण है। माना कि तमाम उदाहरण महिलाओं पर घोर अत्याचार के हैं। जिन पर सजा भी हुई है। पर इस केस के नाम पर तमाम महिलाओं ने पुरुषों को वेबजह शिकार बनाया। इसकी बानगी हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद हुए निर्णय की गवाही हैं।

मेरे एक मित्र हैं। 13 वर्ष से इस कानून की सजा भुगत रहे हैं। अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय में वह न्यायालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इस स्थिति में उनकी मानसिक स्थिति क्या हो जाती होगी, अंदाजा लगाना मुश्किल है।

आत्महत्या भी पुरुष ही ज्यादा करते हैं
दुनिया भर के आंकड़े देखेंगे तो महिलाओं से ज्यादा पुरुष आत्महत्या(Sucide) करते हैं। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की ही बात करूं तो 2022 में सिर्फ सात महीने 117 पुरुषों और 68 महिलाओं ने आत्महत्या की। मुझे लगता है कि इसका जवाब भी समाज का दबाव ही होगा।

यही कारण है कि पुरुषों के अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस ( International Men’s Day) मनाया जाने लगा। इसकी शुरुआत 1999 से हुई थी। वेस्‍टइंडीज विश्‍वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे डॉ. जेरोम तिलक सिंह ने इस दिन अपने पिता का जन्मदिन मनाया था। इसी दिन उन्होंने लोगों को सबके सामने पुरुषों की आवाज उठाने और उनके सकारात्‍मक पहलू सामने लाने के लिए भी प्रेरित किया था। इसके बाद से दुनियाभर में हर साल इस दिन को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूपय में मनाया जाने लगा। भारत की इसकी शुरुआत 19 नवंबर, 2007 से हुई थी। अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस 2022 की थीम है ‘पुरुषों और लड़कों की मदद करना’ ।

Ganesh Joshi,Senior Journalist

दैनिक जागरण के चीफ रिपोर्टर गणेश जोशी की फेसबुक वाल से साभार।
वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी सामाजिक मुद्​दों पर बेबाकी से कलम चलाते हैं. दैनिक जागरण में तीखी नजर नाम से साप्ताहिक कॉलम प्रकाशित होता है. सोशल मीडिया में सीधा सवाल सीरीज में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से लेकर मंत्रियों व मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हैं. गणेश जी का स्वास्थ्य विषय पर सबसे अधिक फोकस रहता है.

Join WhatsApp Group

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *