प्रसन्नचित्त डेस्क। सचमुच में यह संसार कितना सुहावना और नैसर्गिक है. जहां के प्राकृतिक सौंदर्य को महसूस करते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है. जिस स्थल का जिक्र वेद-पुराणों में ऋषि-मुनियों की तपोभूमि को लेकर है. धारचूला क्षेत्र में छह हजार से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह खूबसूरत घाटियां बरबस ही मन को मोहित कर देती हैं. यही कारण है कि यहां के निवासियों में भी प्रकृति का यह प्रभाव स्पष्ट दिखता है. रं समाज के ये लोग दुनिया में कहीं भी रहें, इनमें उदारता, सद्भावना, शिष्टाचार, सामूहिकता, सामाजिकता व एकता की भावना साफ झलकती है.
व्यवसाय, नौकरी तमाम भौतिक जरूरतों को लेकर जब यह रं समाज धारचूला से पूरी दुनिया में फैला. हर जगह परचम लहराया. लेकिन तब भी इनका आपसी जुड़ाव कम नहीं हुआ, गहरा ही होता गया. आधुनिकता की चकाचौंध के बीच जीवन जीने के साथ ही एक-दूसरे यानी अपने समाज के बीच बने हुए हैं. इसके लिए वर्ष 1989 में लखनऊ में रं कल्याण संस्था की स्थापना की गई. तब से इसका विस्तार होता गया. जहां-जहां भी रं समाज के लोग बसे, संस्था की शाखाएं बढ़ते ही रही.
वर्तमान में देश भर में 12 शाखाएं हैं. अधिकांश में अपने भवन, कार्यालय भी हैं. देहरादून में इस संस्था का प्रधान कार्यालय है. वर्तमान में इसके अध्यक्ष सेवानिवृत आइएफएस बिशन सिंह बोनाल, महासचिव सेवानिवृत सीएमओ डाॅ. विक्रम सिंह रौंकली और संरक्षक सेवानिवृत आइएएस नृप सिंह नपलच्याल हैं.
हल्द्वानी में जीवंत होगी रं समाज की लाेक संस्कृति
हल्द्वानी फतेहपुर के वनांचल बारात घर में 16 व 17 अक्टूबर को रं कल्याण संस्था की ओर से दो दिवसीय भव्य आयोजन होगा. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट, कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत, धारचूला विधायक हरीश धामी करेंगे. इसमें रं समाज के देश-दुनिया से तीन हजार से अधिक लोग शामिल होंगे.
हल्द्वानी में रं कल्याण संस्था के अध्यक्ष होशियार सिंह ह्यांकी ने बताया कि इस आयोजन में रं समाज की लोक संस्कृति की झलक दिखेगी. सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें लोकगीत-संगीत प्रस्तुत किए जाएंगे.