बता रही हैं क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डा. विनीता, कैसे आ जाते हैं नशे की मानसिक बीमारी की चपेट में
Uttrakhand Drug -free
हर व्यक्ति जानता है कि नशा गलत है. फिर भी नशे का आदि हो जाता है. बार-बार नशा करता है. तमाम दिक्कतें झेलता है, फिर भी नशा छोड़ नहीं पाता. अगर एक बार लत लग गई तो फिर छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है, लेकिन दुनिया में असंभव कुछ नहीं है. एक बार ठान लेने बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है. अाइए जानते हैं कि इस समस्या से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है.
अब नशे को भी एक मानसिक बीमारी ( Mental Problem) मान लिया गया है. यह यह बार-बार रिपीट होने वाली बीमारी है. वैसे हर नशा अपने आप में अलग होता है, लेकिन उसका दिमाग पर असर एक ही तरह का होता है. ऐसे समझते हैं कि हमारे दिमाग में एक सर्किट है, जिसे हम भी रिवार्ड पाथवे (reward Pathway) वे कहते हैं. जब दिमाग उत्तेजित होता है तो उसमें से एक डोपामाइन ( Dopamine) नाम का केमिकल निकलता है, जिससे हम खुशी (Happiness) फील करते हैं. अगर नशा करते हैं तो उससे हमारा दिमाग उत्तेजित हो जाता है और डोपामाइन स्रावित होने लगता है. ऐसे में हम प्लेजर (pleasure) का अनुभव करते हैं. फिर वही प्लेजर बार-बार महसूस करने के लिए नशा करते रहते हैं. धीरे-धीरे नशे की मात्रा भी बढ़ने लगती है और हम नशे के चंगुल में बुरी तरह फंस चुके होते हैं.
इन लक्षणों से जानें की व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ गया
- अगर किसी का व्यवहार अचानक से बदलने लग
- वजन अचानक कम होने लगे
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगे
- परिवार से दूर जाने का लगे
- किसी भी काम को करने का मन ना लगे
- पढ़ाई हो या व्यापार व अन्य काम में मन न लगे
- अक्सर झूठ बोलने लगे या घर में पैसे चोरी होने लगे
- खुद पर ठीक से ध्यान न देे लगे
जानें हम नशा छोड़ सकते हैं या नहीं
अब हम इस टापिक पर आते हैं की नशा छोड़ सकते हैं या नहीं. हम पहले ही कह चुके हैं कि नशा छोड़ना आसान नहीं है. नशे में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की डिपेंडेंसी हो जाती है. और इसे छोड़ने के लिए हमें दोनों तरह से अपने को मजबूत बनाना होता है. शरीर को मजबूत करने के लिए हमें उस नशे को छोड़ने के लिए पहले खुद को डिटॉक्स करना होता है. उसके लिए हमें दवाइयों की जरूरत पड़ती है. उसके बाद हमें सेट ए लॉजिकल डिपेंडेंसी को दूर करने के लिए काउंसलिंग ( Counselling) और थेरेपी ( Therepy) की जरूरत पड़ती है. जैसे कि बिहेवियर थेरेपी, साइकोथेरेपी ( Psychotherepy), मोटिवेशनल थेरेपी, रिलैक्सेशन इंडिविजुअल थेरेपी, फैमिली थेरेपी ( Family Therepy)का सपोर्ट शामिल है. अगर ठान लिया जाए तो नशे छूट सकता है.
नशामुक्ति के लिए परिवार का सपोर्ट सबसे अहम
नशा छुडवाने में सबसे बड़ा सपोर्ट फैमिली का होता है. अगर परिवार का कोई सदस्य नशे की गिरफ्त में आ चुका है तो उसे बाहर निकालने के लिए सपोर्ट करें. उसके तनाव और दर्द को कम करने के लिए हर तरीके से सपोर्ट करें. अपराध बोध की फीलिंग को कम करें. मरीज से अच्छा व्यवहार व्यवहार करें. उत्तराखंड को नशा मुक्त ( Drug free Uttrakhand) बनाने के लिए हर परिवार का सहयोग जरूरी है.
डा. विनीता कपूर, क्लीनिक साइकोलाॅजिस्ट
समाधान मेंटल हेल्थ एंड काउंसलिंग सेंटर, हल्द्वानी
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