आपके नकारात्मक माहौल से कहीं पूरा परिवार तनावग्रस्त तो नहीं
Self-Development
घर का माहौल-1
आप बेचैनी महसूस कर रहे हैं। उलझन ऐसी कि किसी काम में मन नहीं लगता। बार-बार घबराहट होने लगती है। तनाव हर समय दिमाग में हावी रहता है। कई बार लगता है कि किससे उलझें। अपनों से ही चिढ़ महसूस होने लगती है। जब कभी हाॅट-टाॅक, नोकझोंक हो जाती है तो फिर बाद में पछतावा भी होता है।
आपको पता है, अापकी इस उलझन, आढ़ी-तिरछी, उल्टी-सीधी बातों से परिवार के अन्य सदस्य भी चिढ़चिढ़े होने लगते हैं। कभी कोई बीमार हुआ तो मन में अजीब से ख्याल आने लगते हैं। तरह-तरह के सवाल कौंधने लगते हैं। यहां तक कि खुद पर भी संदेह होने लगता है। परिवार में अजीब हालात बन जाते हैं।
ऐसा क्यों होता है, जानते हैं आप
वैसे तो इस तरह के मानसिक व्यवहार के कई कारण हैं, लेकिन घर के माहौल के लिहाज एक बड़ा कारण है, जिसकी चर्चा मैं यहां पर करने जा रहा हूं। वैसे आप कारण जानते हैं, लेकिन कई बार महसूस नहीं कर पाते। कभी समझ में आता है तो ध्यान नहीं देते। आश्चर्य की बात यह है कि अधिकांश समय समझने की कोशिश ही नहीं करते हैं।
अगर आप अपने ऑफिस में या फिर घर पर हर किसी से चिडचिडे रहते है. या फिर आपके घर में कोई मेहमान आता है. हो सकता है कि आप किसी फेरीवाला या दुकानदार से क्यों न बात करते हों। या घर में काम करने वाला कोई मजदूर या कारपेंटर ही क्यों न आया हो. आप थोड़ा रूकें और फिर सोचें कि आपका उनके प्रति कैसा व्यवहार रहता है? सकारात्मक या नकारात्मक।
अगर आप नकारात्मक हैं तो इससे आपको और आपसे जुड़े लोगो को बहुत अधिक मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
क्या होगा इस नकारात्मकता का परिणाम
अगर आप हर समय दुखी रहते हैं। कभी खुद से तो कभी दूसरे से या दूसरी चीजों से। तब आप समझ जाओ कि गलती कहां हो रही है। आप बहुत ही नकारात्मक किस्म के व्यक्ति हैं। आप किसी को खुश होते हुए देख ही नहीं सकते। यह भाव अापके अंदर गहराई से बैठा रहता है। कई बार आपके अंदर की दैवीय गुण आपसे यह सब नकारात्मक स्थितियों से बचने की ओर संकेत करता है, तब आप कुछ पल के लिए सोचते भी हैं, लेकिन फिर आपका व्यवहार पहले की तर ही हो जाता है।
यह निगेटिविटी आपको बेचैन और परेशान तो करती ही है। आपके आसपास के वातावरण को भी प्रदूषित कर देती है। आप हर क्षण असमंजस यानी भ्रम जैसी स्थिति में रहने लगते हैं। अहम की तुष्टि के लिए आप बार-बार दूसरों को मानसिक व शारीरिक कष्ट देने देते रहते हैं। ऐसी स्थिति में पूरा परिवार बिखरने की तक स्थिति में आ जाता है। अलगाव हो जाता है।
अगर आप परिवार के वरिष्ठ हैं तो पूरा परिवार मानसिक तनाव की स्थिति में रहने लगता है। प्रतिकार नहीं कर सकने की स्थिति में आपके परिवार में कोई सदस्य डिप्रेशन तक की स्थिति में पहुंच जाते हैं। यहां तक कि ऐसी मनोस्थिति में आत्महत्या जैसी घटनाएं देखी गई हैं।
अगर आपके आसपास रहने वाले आपके इस व्यवहार से परेशान रहते हैं तो इस निगेटिविटी का असर भी आप और आपके परिवार पर पड़ता है। घर का वातावरण दूषित हो जाता है। काेई खुश नहीं रह पाता है। बीमारी न होने पर कोई न कोई सदस्य बीमार जैसी स्थिति में रहने लगता है। ऐसा व्यवहार सुखद परिवार के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
समस्या समझें और पाएं समाधान
ठीक ही कहा गया है कि जब समस्या है तो उसका समाधन भी है। समस्या को समझ गए तो समाधान का रास्ता खुद ही मिल जाता है। सबसे पहले खुद से बाेलें कि मैं ऐसा काम नहीं करूंगा, जिससे मेरे अंदर दुर्गुणों का वास हो। सबसे पहले खुद की आदतों को बदलनने का प्रयास रहेगा। विचारों में बदलावा लाना प्राथमकिता में रहेगा। नियमित योग व ध्यान करना होगा और हर समय खुद काे सकारात्मक रखने का प्रयास करते रहना होगा। इसे एक बार सोचकर या करने से कुछ भी असर नहीं दिखेगा। इसका सतत अभ्यास करना होगा। बार-बार सकारात्मक चीजों की ओर ध्यान आकृष्ट करना होगा। अगर बीतों बातें भी स्मरण हो रही हैं तो दुखी होने की जरूरत नहीं है। अभ्यास करना है कि अब आपको प्रसन्नचित्त रहना है.
ध्यान रखें, उन बातों का स्मरण नहीं करना है, जिनका मन पर गलत प्रभाव पड़े। वैसी बातें मनन करनी हैं, जिनका सकारात्मक असर मनो व मस्तिष्क पर पड़ता रहे। एक बार नहीं, बल्कि हजार बार। भोजन भी संतुलित व शुद्ध करना होगा.
किसी ऐसे संत, काउंसलर व मार्गदर्शक के साथ समय जरूर बिताएं, जो आपको इन बातों का अभ्यास करने का तरीका बताए। बार-बार प्रेरित करता रहे.
फिर आपको पूछयार (कुमाउंनी में इसे पूछ करने वाला यानी भाग्य व कुटुंब में होने वाली पीड़ा के समाधान के बारे में बताने वाला ) के पास नहीं जाना पड़ेगा.
के पास जाने की जरूरत पड़ेगी और न ही डाक्टरों के चक्कर काटने पड़ेंगे।
-गजो दर्शन