मानसिक स्वास्थ्य

क्या वायु प्रदूषण से रहता है ऑटिज्म के बढ़ने का खतरा?

Autism Spectrum Disorder

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार ( Autism Spectrum Disorder) क्यों होता है? इसका अभी तक कोई स्पष्ट कारण पता नहीं है, लेकिन पर्यावरणीय और आनुवांशिक, दोनों कारण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. और हर किसी में इसकी जटिलता और तीव्रता भी अलग-अलग होती है.

एक नए शोध में सामने आया है कि वायु प्रदूषण भी ऑटिज्म ( Autism) पीड़ित बच्चों में खतरा बढ़ा सकता है. थोड़े से भी वायु प्रदूषण ( Air Polution) में रहने पर अस्पताल में भर्ती होने तक की नौबत आ सकती है.

बीएमजे ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया है कि प्रदूषित वायु से बचाकर बच्चों को अतिसक्रियता, आक्रामकता या खुद को चोटिल करने जैसी परिस्थितियों से रोका जा सकता है.

ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल विकार ( Neurodevelopmental Disorder) है, जिसके लक्षणों की एक लंबी श्रृखंला होती है. इसमें अक्सर तंत्रिकाओं में सूजन आने की समस्या रहती है. कई बार ड्रग्स, सप्लीमेंट्स व खानपान के कारण सिस्टमेटिक इनफ्लेमेशन का खतरा बढ़ जाता है. सिस्टमेटिक इनफ्लेमेशन तब होता है, जब प्रतिरक्षा प्रणाली लगातार शरीर के बचाव के लिए सक्रिय रहती है.

सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2011 से 2015 के बीच अस्पताल में भर्ती पांच से 14 वर्ष के ऑटिज्म पीड़ित मरीजों के आकड़ों का इस्तेमाल किया. विज्ञानियों ने दक्षिण कोरिया के सभी 16 क्षेत्रों के पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), नाइट्रोजन डाई आक्साइड (एनओ 2) व ओजोन (ओ3) स्तर से संबंधित छह दिनों के आंकड़े लिए.

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट् के मुताबिक इसमें शोध करने वाले विज्ञानियों ने पाया कि रोजाना अस्पताल में भर्ती होने वाले ऑटिज्म पीड़ित बच्चों का औसत संख्या 8.5 रही. इनमें लड़कों की संख्या सात और लड़कियों की संख्या 1.6 रही.

तीन साल की उम्र से दिखने लगते हैं ऑटिज्म के लक्षण

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक एक साल के होने से पहले ही बच्चे में ऑटिज्म के संकेत मिलने शुरू हो सकते हैं. अधिक स्पष्ट संकेत दो या तीन साल की उम्र से पहले ही दिखने लग जाते हैं. ऑटिज्म तीन चीजों को प्रभावित करता है . सोशल स्किल्स कम्यूनिकेशन स्किल्स और बिहेवियर स्किल्स.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में 160 बच्चों में एक बच्चा ऑटिज्म का होता है. इस बीमारी की जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस ( World Autism Awareness Day) मनाया जाता है.

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