ज्ञान व ऊर्जा को भविष्य की योजनाओं में खर्च करने के बारे में बता रही हैं मनोवैज्ञानिक डा. सीता
Self Development
अधिकांश व्यक्ति यह कहते हुए पाए जाते हैं की काश यदि …हुआ होता. काश… यदि मैं निर्णय ले पाया होता. काश मैंने…किया होता. ऐसे व्यक्ति अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहे होते हैं, आने वाले कल को बर्बाद कर रहे होते हैं.
याद रखें :
जिन्दगी में जो चीज हमें नहीं मिली वो हमारी थी ही नहीं, अब उस पर हमारा नियंत्रण नहीं है, लेकिन भविष्य में हम क्या करना चाहते हैं, हमें क्या प्राप्त होना चाहिए ये हमारे नियंत्रण में है, इसके लिए हमें अपनी ऊर्जा, अपने ज्ञान को खर्च करना है.
जीवन में आगे देखते हैं तो हमें अवसर मिलते हैं. आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा मिलती है. सिद्धार्थ ने आगे देखा वो बुद्ध बन पाए, नरेन्द्र ने आगे देखा तो वो विवेकानंद बन पाए.
जो लोग पीछे देखते हैं इसलिए कि क्या वो वापस जाकर चीजों को बदल सकते हैं? वे लगातार अपनी गलतियों को याद कर अपने जीवन पर सवाल उठाते हैं.
पीछे मुड़कर देखने में समस्या नहीं है, अगर पीछे सुनहरी स्मृतियां, आनंद के पल हों जो हमारे अन्दर सुन्दर भावनाएं पैदा करें.
जब हम सुन्दर भविष्य की कल्पना करते हैं तो हमें वास्तविक जुनून पैदा कर आगे बढ़ कर प्रयास करने होते हैं और कल्पना को हम वास्तविकता में बदल सकते हैं.अतीत में रहकर हम नई शुरुआत नहीं कर सकते.
हमारा चीजों व परिस्थितियों को देखने का नजरिया बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए सकारात्मक बनकर भविष्य में फोकस करें.
जब हम बेहतर प्लानिंग के साथ आज में जिएंगे तो हमारा कल भी अच्छा होगा. हमारी जिंदगी सुखद और प्रसन्न चित्त होगी.
डा. सीता
असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी
नैनीताल
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