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आइए एमबीपीजी कॉलेज और यादों में खो जाइए, 62 वर्ष में पहली बार हो रहा पुरातन छात्र सम्मेलन, जानें काॅलेज से निकली हस्तियों के नाम

MBPG COLLEGE HALDWANI

कुमाऊं का प्रवेश द्वार. जहां हर तरह की राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक गतिविधियां संचालित होती हैं. इस शहर में एक महाविद्यालय है, जिसका नाम है मोती राम बाबू राम राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जिसे एमबीपीजी कॉलेज ( MBPG College) नाम से जानते हैं. वर्ष 1960 में स्थापित कॉलेज से अब तक लाखों छात्र-छात्राएं अध्ययन कर चुके हैं और तमाम लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में परचम लहराया है.

भले ही लोग कहीं भी पहुंच जाएं, लेकिन अपने कॉलेज के दिनों की मधुर स्मृतियों को कभी नहीं भूल पाते. खट्टी-मीठी यादें गुदगुदाती हैं तो कभी सोचने को विवश कर देती हैं. पुरातन छात्र (Alumni) चाहते हैं कि अपने कॉलेज की इन यादों में खो जाएं. इसके लिए समन्वय पुरातन छात्र समिति ने पहल की है.

समिति की पहल पर पहली बार एमबीपीजी कॉलेज में पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. इस आयोजन को खास बनाने के लिए समिति हर संभव कोशिश में जुटी है. समिति के अध्यक्ष दीपक सनवाल बताते हैं, ऐसे आयोजन हमें खुशी देते हैं. जब हम पुराने लोगों से मिलते हैं तो अच्छा लगता है. साथ ही कॉलेज के लिए भी अपना योगदान सुनिश्चित कर पाते हैं.

एमबीपीजी कॉलेज में ही बीएड की शिक्षिका और समिति के सचिव डा. तनुजा मेलकानी बताती हैं, कॉलेज की यादें, जो कभी भूली नहीं जाती हैं, उन्हीं यादों को संजोने का यह प्रयास है. इसमें हमें पुराने छात्र-छात्रों का पूरा सहयोग मिल रहा है. मैं उम्मीद करती हूं कि लोग आयोजन को और बेहतर बनाने के लिए हमें सकारात्मक सहयोग देते रहेंगे।

समिति के उपाध्यक्ष डा. भुवन जोशी, कोषाध्यक्ष गणेश जोशी और सलाहकार के रूप में डा. अजय पांडे, हितेंद्र उप्रेती, चंद्र प्रकाश तिवारी व राकेश जैन आयोजन को भव्य बनाने में जुटे हैं। समिति के संरक्षक के रूप में हल्द्वानी के मेयर डा. जोगेंद रौतेला, पूर्व विधायक नारायण पाल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट व पूर्व दर्जा राज्य मंत्री डा. केदार पलड़िया हैं।

इसलिए है एमबीपीजी कॉलेज से लगाव, हर क्षेत्र में पाया है मुकाम

एमबीपीजी कॉलेज से पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं आज राज्य में ही नहीं, बल्कि देश व दुनिया के तमाम देशों में हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रहे हैं. इनमें से कुछ उपलब्ध नाम, जिनका यहां उल्लेख किया जा रहा है…

राजनीति क्षेत्र के धुरंधर

हल्द्वानी शहर के मेयर डा. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक राम सिंह कैड़ा, भाजपा प्रदेश सह कोषाध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता साकेत अग्रवाल, पूर्व सांसद महेंद्र पाल सिंह, पूर्व अध्यक्ष हेमंत बगडवाल, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री तरुण बसंल, डा. केदार पलड़िया, ललित जोशी, कांग्रेस प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया, महेश शर्मा आदि.

प्रशासनिक क्षेत्र में भी लहराया है परचम

पूर्व आयकर आयुक्त डा. एससी अग्रवाल, डा. डीपी सेमवाल, विमल पांडे, नवीन जोशी.

चिकित्सा क्षेत्र के नामचीन

डा. जेएस खुराना, डा. अजय पांडे, डा. मोहन चंद्र तिवारी, डा. मनोज जोशी, डा. अरुण कपूर, डा. कैलाश शर्मा, डा. संजय पंत, डा. दिनेश पनेरू आदि।

साहित्य क्षेत्र के पुरोधा

दिनेश कर्नाटक, डा. एससी अग्रवाल आदि.

कला के क्षेत्र में नाम रोशन करने वाले

महेश सिंह, भरत गुप्ता, विनय फुलारा, अमन सब्बरवाल , फुलारा आदि.

शिक्षा, विज्ञान, कॉमर्स, पत्रकारिता के क्षेत्र के बड़े नाम

डीआरडीओ में वैज्ञानिक डा. संजीव कुमार जोशी, शिक्षा से प्रवींद्र रौतेला, चार्टर्ड अकाउंटेंट सौरभ जोशी, पत्रकारिता में गणेश जोशी, गोविंद सनवाल, अजय जोशी, संदीप मेवाड़ी, अमित कुमार, विदेश के विश्वविद्यालय में अध्यापन के क्षेत्र में डा. पंकज साह आदि.

राज्य के आंदोलन के मुख्य किरदार भी इसी काॅलेज से

मोहन पाठक, जगमोहन बगडवाल, ललित जोशी, राम सिंह कैड़ा, दिनेश जोशी आदि.

जानें अपने एमबीपीजी काॅलेज का इतिहास

हल्द्वानी में उच्च शिक्षा (Higher Education) के लिए स्वर्गीय लाला मोती राम के बेटे स्वर्गीय बाबू राम ने करोड़ों की भूमि दान में दे दी. वर्ष 1960 से आगरा विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त कर महाविद्यालय खुल गया और कला संकाय की पढ़ाई होने लगी. मोतीराम बाबू राजकीय महाविद्यालय के नाम पर शुरू हुए महाविद्यालय में वर्ष 1963 में बीएससी की कक्षाएं आरंभ हुई थी. इसमें रसायनशास्त्र, भौतिकी व गणित विषय की कक्षाएं चली.

जुलाई 1970 में बीएससी जीव विज्ञान व वनस्पति विज्ञान एवं एमए, एमएससी गणित की कक्षाएं भी आरंभ हुई. 1973 से बीएड कक्षाओं एवं 1978 से एमए अर्थशास्त्र तथा एमएससी रसायनशास्त्र की कक्षाएं शुरू हुई.

मार्च 1982 में इस महाविद्यालय का राजकीयकरण हो गया. इसके बाद वर्ष 1985 में बीकॉम व एमए हिन्दी, राजनीतिशास्त्र विषय प्रारंभ हुए. स्नातक स्तर पर इतिहास व शिक्षाशास्त्र की 1987, बीए में गृहविज्ञान 1989, एमए में इतिहास, एमकॉम, भौतिक विज्ञान, प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, अंग्रेजी, मनोविज्ञान विषय 1992-93 में शुरू हुए.

वर्ष 1987 से महाविद्यालय में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय अध्ययन केन्द्र (IGNOU) की स्थापना हुई. इसके बाद तमाम नए पाठ्यक्रम व रोजगार परक पाठ्यक्रम आरंभ हो चुके हैं. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का अध्ययन केंद्र भी खुला.

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