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परमिट, छियालेख में कैंपिंग और अधपकी खिचड़ी का लाजवाब स्वाद

Haldwani To Om Parvat

ट्रेवलाॅग-2 : हल्द्वानी से ओम पर्वत की रोमांचक यात्रा

पार्ट-2

सीमांत क्षेत्र होने की वजह से यात्रा के लिए परमिट जरूरी है। हमने धारचूला में परमिट बनवाया। सबसे पहले अस्पताल में मेडिकल चेकअप कराया। वहां से तहसील में शपथ पत्र और फिर पुलिस चौकी गए। चौकी में डाक्यूमेंट वेरिफाइ कराए। आधार कार्ड, तीन फोटो की जरूरत पड़ी। फिर एसडीएम कार्यालय से हमें इनर लाइन परमिट मिला। इसमें हमारा तीन घंटे से ज्यादा का समय लग गया। यह भी तब, जब जल्दी-जल्दी काम हो रहा था। यहां से हम लाेग ओम पर्वत की तरफ चल दिए। 3:30 बज चुका था। उजाले में नाबी व गुंजी गांव तक पहुंचना संभव नहीं था। हालांकि गाड़ियां फोर बाइ फोर वाली थी। मार्ग खतरनाक। उबड़-खाबड़, कभी सड़क से ऊपर चट्टान तो कभी सर्पीली चढ़ाई। लेकिन, यात्रा को लेकर रोमांच बढ़ते ही जा रहा था। जैसे ही हम 10 हजार फिट ऊंचाई पर छियालेख पहुंचे तो सूर्य अस्त होने लगा था। ऐसे में अब आगे की यात्रा संभव न थी। जब सभी पांच गाड़ियां पहुंच गई तो निर्णय हुआ कि इसी जगह पर कैंपिंग की कर ली जाए। सभी की सहमति हो गई।

वैसे तो कैंपिंग का अपना अलग ही आनंद है। हमने टैंग लगाए। फिर ये तय करना था कि खाना क्या बनाया जाए? कोई मैगी तो कोई कुछ और बोलने लगा। अंत में तय हुआ कि खिचड़ी ही खाई जाए। खिचड़ी पकाने में हर कोई हाथ बंटाने लगा। चावल के दाने तो पक गए थे, लेकिन दाल नहीं गली। फिर भी हमें उस जगह पर खिचड़ी स्वादिष्ट लगी। बड़े चाव से खिचड़ी खाने का लुत्फ उठाया। तब हमें चांद की रोशनी में सामने चमकता हिमखंड आकर्षक लगने लगा। चमकते चांद को देखते-देखते, हंसी-मजाक करते हुए हम अपने-अपने टैंक में घुस गए और करवटें बदलते रहे। सो तो गए थे, लेकिन गहरी नींद आना संभव नहीं था। मेरे साथी का तो दम घुटने लगा था। वह रात भर बाहर टहलते रहे और पानी पीते रहे।

मुझे लगा कि ठंडा ज्यादा होगा। इसलिए सतर्कता ज्यादा बरत ली। स्लीपिंग बैग के अंदर सोने का मेरा पहला अनुभव था। उसके ऊपर कंबल डाल लिया। जाड़ा होने के बजाय गर्मी होने लगी। पसीना-पसीना हो गया। जब मुंह बाहर निकाला तो ठंडा। अजीब स्थिति हो गई। पर भी रोमांच का अनुभव। मजा बहुत आ रहा था। जिंदगी के नए अनुभव के साथ रात कट गई।

सुबह हल्के अंधरे में उठे तो मौसम का नजारा देखने लायक था। सचमुच में महसूस करने लायक था। नित्य कर्म से निवृत होकर चाय पी। खैर, चाय बनाने का अनुभव और साथियों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी में तल्लीनता का नजारा भी यात्रा में नया अनुभव जोड़ रहा था। मिट्टी से सन चुके टैंटों को जैसे-तैसे समेटा और फिर वहां से दुनिया की बेहद खूबसूरत और अपनी मनपसंद जगह ओम पर्वत की ओर रवाना हो गए।

क्रमश…

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