कुमाऊं के लिए गेठिया में बनने जा रहा मानसिक अस्पताल, इसलिए पड़ गई जरूरत
Uttrakhand Mental Health
Uttrakhand Mental Health: प्रसन्नचित्त डेस्क। जिस तरीके की अस्त-व्यस्त जीवनशैली हो गई और इसकी वजह से शारीरिक बीमारियां तेजी से बढ़ने लगी हैं. इस तरह की गलत जीवनशैली की वजह से लोग मानसिक बीमारियां की भी चपेट में आने लगे हैं. कोरोना के बाद तो मानसिक बीमारियों में 20 प्रतिशत इजाफा हो गया है. यही कारण है कि सरकारें भी मानसिक स्वास्थ्य की सुविधाएं बढ़ाने पर प्रयास कर रही हैं.
उत्तराखंड(Uttrakhand) में अभी तक केवल गढ़वाल मंडल के सेलाकुई में मानसिक अस्पताल ( Mental Hospital) है. लेकिन यह अस्पताल सवा करोड़ से अधिक आबादी के लिए नाकाफी है. कुमाऊं के लोग सेलाकुई तक नहीं पहुंच पाते हैं. इसके लिए सरकार ने कुमाऊं में मानसिक अस्पताल खोलने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए नैनीताल जिले के गेठिया सेनिटोरियम में अस्पताल के जगह चिन्हित कर ली गई है.
नैनीताल के डीएम धीराज सिंह सिंह गर्ब्याल (DM Dheeraj Singh Garbyal) ने भी अधिकारियों को अस्पताल के निर्माण के लिए आवश्यक कार्रवाई शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं. यह अस्पताल 100 बेड का है.
शासन स्तर पर कार्यदायी एजेंसी के लिए ब्रिडकुल को जिम्मेदारी दे दी गई है. ब्रिडकुल के प्रोजेक्ट मैनेजर आकाश भट्ट के निर्देशन में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीपीआर तैयार की जा रही है. उनका कहना है कि जल्द ही डीपीआर तय कर शासन को सबमिट कर दी जाएगी. इसके बाद बजट तय होगा. शासन से बजट रिलीज होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा.
शहर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा (Psychiatrist Dr Ravi Singh Bhaisoda) कहते हैं कि मानसिक रूप से बीमार रोगियों को भर्ती करने के लिए भी अच्छे अस्पताल की जरूरत है. सरकार का यह प्रयास अच्छा है.
डा. भैंसोड़ा बताते हैं, इस समय मानसिक बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन लोग अभी भी जागरूक नहीं हैं. लोगों को अपनी बीमारी स्वीकार करनी होगी. इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास जाना होगा. काउंसलिंग ( Counselling)करानी होगी. जिस तरीके से शारीरिक बीमारियाें के इलाज के लिए सजग रहे हैं, उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर भी अलर्ट रहने की जरूरत है.