मानसिक स्वास्थ्य

ध्यान दें…ऐसे बच्चों को इलाज से ज्यादा प्यार व देखभाल की जरूरत

Mental Health: Cerebral Palsy

प्रसन्नचित्त डेस्क। सेरेब्रल पाल्सी ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर है, जिसमें इलाज से ज्यादा प्यार की जरूरत रहती है. इस बीमारी कोई ट्रीटमेंट नहीं है. अगर समय रहते बीमारी का पता लगा लिया जाए तो बीमारी के खतरों को कम किया जा सकता है. साथ ही बच्चे के जीवन में कुछ सुधार लाया जा सकता है.

चार तरह की होती है सेरेब्रल पाल्सी

स्पास्टिक, मिश्रित, डिस्काइनेटिक और एटैक्सिक।

जानें बीमारी के लक्षण

बोलने, सुनने में दिक्कत

सीखने-समझने में परेशानी

उठने-चलने में कठिनाई

भोजन निगलने में परेशानी

मांशपेशियों में जकड़न या लचीलापन

झटके आने की समस्या

लार बहना

धीमा शारीरिक विकास

दृष्टि बाधित होना

बौद्धिक क्षमता प्रभावित होना

जानें, कब से शुरू हो जाती है बीमारी

मनोचिकित्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान ही बीमारी शुरू हो जाती है. कई केसेज में सेरेब्रल पाल्सी जन्म के बाद होती है. जैसे कि डिलीवरी के समय शिशु के दिमाग में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचना भी है. इसके अतिरिक्त मस्तिष्क का असामान्य विकास, सिर में चोट व अत्यधिक खून बहना भी कारण हो सकते हैं.

बीडी पांडे अस्पताल के मनोचिकित्सक डाॅ. गिरीश चंद्र पांडेय बताते हैं, सेरेब्रल पाल्सी के मरीजों की देखभाल बहुत अधिक जरूरी है. इनके इलाज के लिए न्यूरोफिजीशियन, मनोचिकित्सक, मनावैज्ञानिक, काउंसलर, बाल रोग विशेषज्ञ व फिजियोरेपिस्ट की जरूरत पड़ती है. साथ ही पैरेंट्स को भी धैर्य रखने की जरूरत होती है.

राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी के वरिष्ठ नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा. युवराज पंत बताते हैं, सेरब्रल पाल्सी से ग्रस्त बच्चों में अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं.

उत्तराखंड में नहीं पुनर्वास व बेहतर इलाज की सुविधा

एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में ही सेरेब्रल पाल्सी के करीब 18 हजार से अधिक मामले हैं, लेकिन इनके लिए पुनर्वास की बेहतर इलाज की सुविधा नहीं है.

केंद्र व राज्य सरकार की योजना का भी नहीं मिलता लाभ

केंद्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य बीमा निरामया योजना संचालित है. इसके तहत ऐसे बच्चों को एक लाख रुपये तक इलाज में मिल जाते हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में यह सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं है. इसके साथ ही राज्य सरकार के समाज कल्याण की ओर से चार वर्ष से 18 वर्ष तक 500 रुपये और 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को एक हजार रुपये पेंशन मिलती है. तमाम मरीज इसका लाभ लेने से वंचित हैं. यहां तक कि लीगल गार्जियन बनाए जाने का नियम है. इसे लेकर भी कहीं जागरूकता नहीं दिखती है. जबकि सरकारी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ दिया जाना है. गैर सरकारी संस्थाएं भी महज औपचारिकता निभा रही हैं.

सृजन स्पास्टिक सोसाइटी, हल्द्वानी की विशिष्ट शिक्षक श्रद्धा कांडपाल बताती हैं, सेरेब्रप पाल्सी गंभीर बीमारी है. इसे लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है. इसके लिए प्रत्येक वर्ष छह अक्टूबर को सेरेब्रल पाल्सी दिवस मनाया जाता है.

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