मानसिक स्वास्थ्य

अब उत्तराखंड में मेंटल हेल्थ वैन से मिलेगी मानसिक शांति

Mental Health

देहरादूनः कोरोना (Corona) के बाद मेंटल हेल्थ (Mental Health) की चर्चा तेज हो गई है, लेकिन निर्धारित जरूरत के अनुसार मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल नहीं हैं. यही कारण है कि सरकार भी नए-नए तरीके से खोजकर मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करना चाहती है. राज्य सरकार ने अब कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में दो मेंटल हेल्थ वैन चलाने का निर्णय लिया है.

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ( Uttrakhand Chief Secretary SS Sandhu)ने 13 सितंबर को सचिवालय में नशामुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की. इस दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को राज्य के सभी नशामुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास केंद्रों का दौरा करने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि जो नशामुक्ति केंद्र अच्छा कार्य कर रहे हैं, उन्हें सहयोग प्रदान किया जाए.

मुख्य सचिव ने मेंटल हेल्थ केयर सेंटर सेलाकुई (Mental Health Care Center Selakui)को और मजबूत किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने परिचरों के लिए पांच कमरों की व्यवस्था के साथ ही 10 डोरमेट्री की व्यवस्था अतिशीघ्र सुनिश्चित किए जाने के निर्देश भी दिए.

जारी किया जाए हेल्पलाइन नंबर

मुख्य सचिव ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए एक डेडिकेटेड हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि दूर दराज के लोगों को भी इसकी जानकारी हो इसके लिए इसका प्रचार-प्रसार किया जाए. उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊं के लिए एक-एक डेडिकेटेड मोबाइल मेंटल हेल्थ केयर वैन शुरू किए जाने के भी निर्देश दिए.

मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसे मानसिक स्वास्थ्य रोगी जिनका उपचार अपने घरों में चल रहा है, उन्हें नजदीकी उपलब्ध चिकित्सक के पास दवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के प्रयास किए जाएं. जिससे कि उन्हें दवाओं के लिए सेलाकुई तक न आना पड़े. उन्होंने रिहैबिलिटेशन सेंटर के लिए नई स्कीम तैयार किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सरकारी रिहैबिलिटेशन सेंटर में पर्याप्त मात्रा में बेड की व्यवस्था सुनिश्चित कराए जाए.

वैसे राज्य में मानसिक रोग विशेषज्ञों की भारी कमी है. इन्हें दूर करने के लिए ठोस प्रयास नहीं हुए हैं. सरकार ने निम्हांस से एमबीबीएस (MBBS) डाक्टरों को एक साल का आनलाइन डिप्लोमा कोर्स करवाया है. इसके बाद इन डाक्टरों को मानसिक रोगियों के उपचार की अनुमति दी है. हालांकि इंडियन साइकेट्री एसोसिएशन (ISA) ने इस तरह के डिप्लोमा के बाद साइकेट्री की प्रैक्टिस पर नाराजगी भी जताई है.

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