रिपोटर्स डायरी : वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी की सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकत और सीधे सवाल…
Reporter's Diary : Ganesh Joshi
Reporter’s Diary: वैसे तो एक पत्रकार के तौर पर सीएम से मुलाकात कोई बड़ी बात नहीं होती. बहुत ही सामान्य सी प्रक्रिया है, लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी ( CM Pushkar Singh Dhami) से मुलाकात के कई मायने हो जाते हैं, खासकर मेरे लिए. इसलिए कि भाजपा नेता, विधायक और व्यक्तिगत तौर पर भी मेरी उनसे पहले भी मुलाकात अक्सर हो जाया करती थी.
इस बार भी वह 31 अक्टूबर को सर्किट हाउस में पहुंचे थे. वैसे तो उनका हल्द्वानी आने का पूर्व निर्धारित कोई कार्यक्रम नहीं था. अचानक कार्यक्रम बना और पहुंच गए. जैसे ही पहुंचे तत्काल औचक निरीक्षण करने भी निकल गए और कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद भी किया.
इस बीच मेरी धामी जी से मुलाकात भी शुरू हो गई. पहले तो हाल-चाल पूछने का क्रम चला. सामान्य बातचीत हुई, लेकिन मुलाकात आत्मीयता से हुई. मिलते समय उनके अंदर किसी तरह पद का गुरुर जैसा भाव नजर नहीं आया. सहज से नजर आए. सहजता से बात भी की और आगे बढ़ते रहे. उनका लोगों से मिलने का यही तरीका है, जो लोगों को भाता है.
इसके बाद सर्किट हाउस में ही सीमए से मेरी अन्य पत्रकार ( Journalist) साथियों के साथ करीब 15 मिनट की मुलाकात हुई. ढेर सारे सवाल और कई जिज्ञासाएं… सवाल करना मेरा धर्म है. इसलिए मैं सवालों की बौछार करता रहा. एक के बाद एक सवाल दागते रहा और सीएम अपने चिरपरिचित अंदाज में जवाब देते रहे. अधिकांश सवालों के जवाब परिपक्व और ठोस थे, लेकिन कुछ सवालों के जवाब मेरी समझ से परे थे. हो सकता है, उनका जवाब देने का तरीका यही हो या फिर उनका जवाब मेरी समझ में न आया हो…कुछ भी हो सकता है. अगर समय मिले तो इसका भी जवाब किसी और मुलाकात में ले लिया जाएगा. मुझे उम्मीद है कि वह सवालों का जवाब देने में हमेशा की तरह सहजता व रुचि दिखाएंगे.
सवाल थे, अल्मोड़ा मेडिकल कालेज ( Almora Medical College) में पानी न होने की वजह से प्रसव ही नहीं हो सका. ऐसी नौबत क्यों आई? हल्द्वानी में 50 बेड का आयुर्वेद अस्पताल कब तक चालू हो सकेगा? न पद सृजित हैं और न ही उपकरण व फर्नीचर के लिए बजट है. पर्यटन, सड़क, सड़कों के गड्ढे, पेयजल समेत तमाम अन्य जन समस्याओं और नई योजनाओं के विषय पर खुलकर बातचीत की. धामी जी की खासियत तो है कि उनसे कितने सीधे, तीखे, आढ़े-तिरछे सवाल पूछो, वह असहज होते नहीं दिखाई देते हैं. लेकिन मैं इतना ही कहूंगा कि कुछ सवालों के स्पष्ट और तार्किक जवाब मिलने ही चाहिए थे.
पत्रकारिता ( Journalism) के तमाम खट्टे-मीठे अनुभवों के चलते मुझे ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि कई वरिष्ठ नेता थोड़ा सा भी टेढ़ा और तीखा सवाल होने पर तीखा कमेंट करने लगते हैं. मुंह फुलाने लगते हैं. ऐसा लगता है कि हमने उनके खेत में अपने बैल छोड़ दिए हों. यहां तक कि एक बार एक वरिष्ठ स्तर के नेता ने ऐसे ही मास कनेक्ट करने वाले जनसमस्याओं से जुड़े सवालों पर मुझे तहसील स्तर का पत्रकार कहकर मेरी बेइज्जती करने की कोशिश की थी. एक पूर्व सीएम तो सवालों को सुने बिना ही पत्रकारों को संबोधित कर चल देते थे. पत्रकार सवाल चिल्लाते रह जाते थे और वह मुंह फेर चल देते. एक और पूर्व सीएम जिनके पास जवाब ही नहीं होता था. खैर, धामी जी ने जवाब तो दिया. जबकि वह राज्य में सबसे कम उम्र के सीएम हैं.
राजनीतिक जीवन की शुरुवात से ही संपर्क बनाने और बनाए रखने के सिद्धहस्त सीएम धामी की मुस्कान पर हर कोई फिदा हो जाता है. जहां लोग उनसे जुड़ने को बेताब रहते हैं. होता ही है लोग उनके पद और अपने हित को लेकर मिलते होंगे, लेकिन उनका मिलना अक्सर सहज ही रहता है।
आज मैंने देखा कि एक जगह वह कुछ लोगों के बिना बताए या पूर्व सूचना के अचानक करीब बैठे जाने से असहज दिखे, कुछ शब्दों से उन्होंने इशारा जरूर किया लेकिन खास बात यह है कि उनके चेहरे पर असहजता का भाव नजर ही नहीं आया.
एक पत्रकार के तौर पर मेरे अंदर राज्य हित से जुड़े सवालों का ज्वार हर समय उमड़ता-घुमड़ता रहता है, जिसे शांत करने के लिए अक्सर सीएम से बात करने की जरूरत रहती है. दूसरा, एक उत्तराखंडी होने के नाते राज्य से जुड़ी तमाम परियोजनाओं, विकास कार्यों, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक स्थिति, संस्कृति, परंपराओं, स्वास्थ्, शिक्षा से जुड़े अनगिनत सवाल और सुझाव भी मन में मचलते हैं, कोशिश यही रहती है कि इन विषयों पर काम करते रहूं. दूसरी कोशिश की इन विषयों का जवाब के लिए सीएम से बार -बार सीधा सवाल किया जाए। उम्मीद करता हूं आगे भी धामी जी इसी तरह सवालों को लेते रहेंगे और जवाब मिलता रहेगा।
दैनिक जागरण के चीफ रिपोर्टर गणेश जोशी की फेसबुक वाल से साभार।
वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से कलम चलाते हैं. दैनिक जागरण में तीखी नजर नाम से साप्ताहिक कॉलम प्रकाशित होता है. सोशल मीडिया में सीधा सवाल सीरीज में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से लेकर मंत्रियों व मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हैं. गणेश जी का स्वास्थ्य विषय पर सबसे अधिक फोकस रहता है. रिपोटर्स डायरी के जरिये भी उन्होंने सीएम से मुलाकात के बहाने कई अहम मुद्दों को उठाया है.