जागरबोलियां

च्यां करौ, छ्यां करौ, बिगर मैंई स्वाद नि रौ…कि भै?

Kumouni puzzles

कुमाऊं की लोकवार्ता में आण हालण यानी की पहेली बुझाने की परंपरा बड़ी समृद्ध नजर आती है. यह न केवल बच्चों का मनोरंजन करती दिखती हैं, बल्कि इनमें वयस्क भी खूब रुचि लिया करते हैं. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि आधारित जीवन में आण या आन के अपने अलग ही रंग हैं. कहावतों व मुहावरों की तरह इसके भी अनेक विषय हैं, जैसे कि खानपान, प्रकृति, कृषि, शरीर के अंग-प्रत्यंग, घरेलू वस्तुएं आदि.

अगर आप पहाड़ से दूर भी हो गए हैं और अपनी जड़ों से जुड़ाव महसूस करते हैं या फिर जड़ों से जुडे़ रहना चाहते हैं तो फिर हमारे साथ बने रहिए. आपको प्रसन्नचित्त डाॅट काम ( www.prasannachitt.com ) पर ऐसे ही कुमाउंनी, गढ़वाली व जौनसारी के दिलचस्प विषय मिलेंगे. यह न केवल आपका ज्ञान बढ़ाएंगे, बल्कि मनोरंजन करने के साथ ही खुद को खूबसूरत पहाड़ और पहाड़ी संस्कृति से जोड़े रखेंगे. सच में सुकून मिलेगा और मन भी प्रसन्न रहेगा.

आइए जानते हैं बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार प्रो. शेर सिंह बिष्ट ( Professor Sher Singh Bisht) की चुनिंदा कुमाउंनी पहेलियां ( Kumouni puzzles) यानी आण

भाग-4

1- चाड़ा बटि हाड़ भै, हाड़ बटि चाड़ भै, बता ठीक नौं, के भै?

2- चार घाड़ दूदाक भरी, ठाड़ न्हैंतन, टोर हैरीं.

3- च्यां करौ, छ्यां करौ, बिगर मैंई स्वाद नि रौ.

4- छु मैं कावपट्ट, टांक सुकिल.

5-छै म्हैण तक आन नि खानी, तब लै कभै निथकनी.

6- जामनक पात किड़ा पड़िया, बतौ धैं कैलि खेड़िया.

7- जैथैं सबै ताल कूणी, मगर वीमैं पाणि कभै नि हुणी.

8- ठेकि में ठेकि, कि भै?

9- तीन भाईंक एकै टांक.

10-तू हिट, मैं औनू.

जवाब- 1- अंडा, 2- गाय, भैंस के थन, 3- नमक, 4- मूसल, 5-शिशु, 6- कागज का अक्षर, 7- कान, 8- गन्ना, 9- तिपाया चूल्हा, जांत, 10- दरवाजा, सुई तागा.

क्रमश…

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