हर कार्य को खुशी-खुशी करने के फायदे बता रही हैं मनोवैज्ञानिक डा. सीता
Self Development
जिंदगी में प्रत्येक कार्य दो तरह का होता है. या तो वह हमें पसंद होता है या उसे करना हमारी बाध्यता होती है. यदि हम कार्य करने में उत्सुकता दिखाते हैं जो कि हमें खुशी प्रदान करता है तो कार्य पूर्ण होने में संतुष्टि का भाव पैदा होता है. इस तरह के काम को हम दोबारा उसी उत्साह से करते हैं. परिणाम भी मनमुताबिक आने की संभावना रहती है.
यदि कार्य पूरा करना हमारी बाध्यता होती है तो कार्य पूर्ण होने पर भी हम खुश नहीं हो पाते हैं. क्योंकि उस काम को हमने मन लगाकर किया ही नहीं. उसमें हमने खुशी का अनुभव किया ही नहीं. यही कारण है कि हम काम से पल्ला छूट जाने से खुश होते हैं. इस तरह के कार्य को दोबारा करना पसंद नहीं करते हैं. या फिर उस कार्य को लेकर लगातार चिंतित रहने लगते हैं.
इसलिए जरूरी है कि कोई भी कार्य करते समय अपनी पसंद व रुचि का ध्यान अवश्य रखा जाए. अपने पसंद का काम चुनने पर हम दोगुनी मेहनत से काम करते हैं और कार्य में गुणवत्ता भी आती है.
अपने मनपसंद काम करते समय गलती होने पर भी हम खुद को माफ कर देते हैं. हमारे ऊपर तनाव हावी नहीं होता है. गलती सुधारते हुए फिर नए जोश के साथ काम आगे बढ़ाने लगते हैं.
कई काम ऐसे हैं, जो अापकी पसंद के नहीं होते हैं, लेकिन आपको करना होता है. इसलिए उस काम को करते समय सकारात्मक रहने की काेशिश करिए. उस काम के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान दीजिए. वैसे भी खुशी कोई कार्य नहीं, बल्कि प्रक्रिया है. इसलिए अपने काम को आत्मविश्वास के साथ करिए.
अगर आपको काम करना है तो मजबूरी व बाध्यता वाले शब्द मनोमस्तिष्क से निकाल दीजिए. फिर देखिए आप न केवल खुश होंगे, बल्कि काम के सकारात्मक परिणाम भी आपके सामने होंगे. आपके भीतर संतुष्टि का भाव जागने लगेगा. उदास होना या प्रसन्न होना, आपकी इच्छा व अनिच्छा पर निर्भर करता है. इसलिए चाहने से हर काम आनंददायक लगने लगता है.
डा. सीता
असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी, नैनीताल
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