पर्यटन

कुमाऊं के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ले सकेंगे शीतकालीन पर्यटन का आनंद

Uttrakhand Tourism

हर काेई अपनी जिंदगी में कुछ पल सुकून के चाहता है। मन को प्रसन्न रखने के लिए बहुत कुछ करता है। शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर कहीं एकांत निर्जन हिमालयी (Himalyas) क्षेत्रों में कुछ पल बिताने का प्लान बनाता है। खासकर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रोमांचक यात्रा करने का मन होता है। अगर आप भी यही चाहते हैं तो चले आइए धारचूला ( Dharchula ) की व्यास, चौंदास व दारमा घाटी।

हां, आप ठंड के मौसम में भी हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी (Snow Fall) का भरपूर लुत्फ उठाना के शौकीन हैं तो भी यह खूबसूरत जगह आपको स्वर्ग सी प्रतीत होगी। इस बार पहाड़ की इन वादियों में अक्टबूर से मध्य नवंबर तक की यात्रा कर सकते हैं। शीतकालीन पर्यटन ( Winter Tourism) के नाम से इसे सरकार बढ़ावा दे रही हैं। वर्तमान में आदि कैलाश ( Aadi Kailash) व ओम पर्वत ( Om Parvat) की यात्रा को लेकर जिस तरह का उत्साह देश भर के पर्यटकों में दिख रहा है, उससे उम्मीद भी जग रही है कि लोग शीतकालीन पर्यटन का भी आनंद उठाने पहुंचेंगे।

व्यास घाटी का नाबी गांव। यहां होम स्टे की बेहतरीन सुविधा है

छियालेख में हरे-भरे बुग्यालों को निहारें

सितंबर तक आप धारचूला से सीधे ओम पर्वत या फिर आदि कैलास की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन अक्टूबर से नवंबर तक आप व्यास घाटी स्थित छियालेख ( Chhiyalekh)पहुंच सकते हैं। जहां हरे-भरे बुग्यालों को आप निहार सकते हैं। वहां पर फूलों की घाटी को देख आपका मन प्रसन्न हो जाएगा। यहां से आप समुद्रतल से 11 हजार फिट ऊपर नाबी और व साढ़े 10 हजार फिट ऊंचाई गुंजी गांव तक भी जा सकते हैं।

इन गांवों तक सड़क पहुंच चुकी हैं। खूबसूरत होम स्टे बने हैं। जहां ग्रामीण जीवन की सुखद अनुभूति की जा सकती है। ग्रामीण आपको घर से बाहर होने का एहसास नहीं होने देते हैं। इनके भोजन परोसने से लेकर आपसे बात करने का तरीका बिल्कुल घरेलू होता है। जहां बनावटी बिल्कुल नहीं होगा। यह जीवन आपका दिल जीत लेगा।

सर्दी का मौसम हो। बर्फ गिर रही हो और नाबी या फिर गुंजी गांव में रहना हो तो फिर किसी जन्नत से कम नहीं होगा। अगर आप भी इस तरह के पर्यटन का शौक रखते हैं तो अभी से तैयारी शुरू कर दें। यहां पर कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के भी आवास गृह और हट्स हैं।

स्थानीय व्यंजनों का उठाएं लुत्फ
नाबी व गुंजी गांव में आप स्थानीय भोजन का भी लुत्फ उठा सकते हैं। वहां पर स्थानीय उत्पादों की रोटी, सब्जी व चाय भी मिल जाती है। जिसका स्वाद आपको भा जाएगा। इन होम स्टे में रखने का किराया लगभग 1500 रुपये प्रति व्यक्ति है।

ऐसे पहुंचे धारचूला
धारचूला पहुंचने के लिए आप पहले रेल सेवा से सीधे काठगोदाम या फिर टनकपुर पहुंच सकते हैं। वहां से कार या बस सेवा से सीधे पिथौरागढ़ होते हुए धारचूला पहुंच जाएंगे। काठगोदाम ( Kathgodam)से धारचूला की 270 किलाेमीटर की दूरी है। अगर आप चाहें तो एक दिन कौसानी, रानीखेत में भी रूक सकते हैं। धारचूला से टैक्सी की सुविधा मिल जाएंगी। वहां से आप आगे की यात्रा अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं।

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