भाग 5
कुमाउंनी कहावतों की सीरीज में आपको पहाड़ के दर्शन होंगे। पहाड़ के खट्टे-मीठे रंग दिखेंगे। अपनापन महसूस होगा। अगर आप भी इन कहावतों मुहावरों को बोलते रहेंगे तो गर्व की अनुभूति होगी। जड़ों से जुड़ाव का आभास होगा। क्यों न प्रसन्नचित्त की इस अनूठी पहल का हिस्सा बनें। आपको इस तरह के मुहावरे व कहावतें प्रसन्नचित्त डाॅट कॉम पर लगातार पढ़ने को मिलेंगे।
इस सीरीज में में हम हिंदी व कुमाउंनी के प्रसिद्ध लेखक प्रो. शेर सिंह बिष्ट की अंकित प्रकाशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक कुमाउंनी कहावतें एवं मुहावरे : विविध संदर्भ में उल्लिखित चुनिंदा मुहावरे व कहावतें आपके लिए लाए हैं। ताकि दुनिया भर में फैले कुमाउंनी लोग इसका आनंद उठा सकें।
1-च्याल हैंगी कै भेर जै कि भागि है जाईं। बेटे पैदा होने से ही भाग्यवान नहीं हो जाते हैं। कुपुत्र तो हमेशा सिरदर्द का ही कारण बनते हैं। ऐसे में सिर बेटे हो जाने मात्र से नहीं उछलना चाहिए।
2-छां मांगनहैं जाण डोरि लुकूण। मट्ठा मांगने के लिए जा रहे हो तो फिर बर्तन क्या छुपाना। सामाजिक व्यवहार में संकोच ठीक नहीं।
3- छै छक्वि गै, नौ छक्किक्याक चां। छह दिन का भूखा गया, नौ दिन के भूखे के यहां। दुर्भाग्य पीछा नहीं छुडाता।
4- जतुव काव, म्यर बाबुव साव। जितने काले मेरे पिता के साले। मतिभ्रम की स्थिति
5- जब बकर बाग ल्हिगै, तब हुल हालण सिक। जब बकरी को तेंदुआ ले गया, तब दरवाजे में अर्गला डालना सीखा। हानि के बाद सावधानी बरतना निरर्थक।
6- जमीन हरा, अमीन। जमीन के मुकदमों को अमीन हरवाता है। जमीन की सही जानकारी अमीन को ही रहती है।
7- जां कुकुड न हुन, वां रात जै के न ब्यानि। जहां मुर्गा नहीं बांग नहीं देता , वहां प्रात:काल जो क्या नहीं होता? किसी के बिना कोई काम नहीं रूकता है।
8- जामने बै कामन। पैदा होते ही कांपने वाला। बचपन से ही धूर्त।
9- जु कां, जुका, जु कान में। जुवा कहां है, जुवा कहां है, जुवा कंधे में7 असावधान व्यक्ति।
10- जैक नौले नैं, वीक फौल। जिसका तना तक नहीं, उसका फल लाने की जिद करना। मूखर्तापूर्वक हठ।