भाग 6
कुमाउंनी कहावतों की सीरीज में आपको पहाड़ के दर्शन होंगे। पहाड़ के खट्टे-मीठे रंग दिखेंगे। अपनापन महसूस होगा। अगर आप भी इन कहावतों मुहावरों को बोलते रहेंगे तो गर्व की अनुभूति होगी। जड़ों से जुड़ाव का आभास होगा। क्यों न प्रसन्नचित्त की इस अनूठी पहल का हिस्सा बनें। आपको इस तरह के मुहावरे व कहावतें प्रसन्नचित्त डॉट कॉम पर लगातार पढ़ने को मिलेंगे।
इस सीरीज में में हम हिंदी व कुमाउंनी के प्रसिद्ध लेखक प्रो. शेर सिंह बिष्ट की अंकित प्रकाशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक कुमाउंनी कहावतें एवं मुहावरे: विविध संदर्भ में उल्लिखित चुनिंदा मुहावरे व कहावतें आपके लिए लाए हैं। ताकि दुनिया भर में फैले कुमाउंनी लोग इसका आनंद उठा सकें।
1- जैक बिसा नैं, वाीकि ठुलि नालि। जिसके अनाज ही नहीं, उसके पास बड़ी नाली। व्यर्थ का दिखावा
2- जैकि ज्वे नैं, वीक क्वे नैं। जिसकी पत्नी नहीं, उसका कोई नहीं। पत्नी ही सुख-दुख की साथी होती है।
3- जै घड़ी द्यो, उ घड़ी बादल। जिस पल बादल , उसी पल वर्षा होगी। भविष्य की चिंता व्यर्थ।
4- जैलि थै, वीलि पै। जिसने सहन किया, उसने पाया। सब्र का फल मीठा होता है।
5- जो गंग ना अापहुिं, जो गध्यार ना आपुहिं। जो गंगा स्नान करे अपने लिए ओर जो नाले में नहाए अपने लिए। कर्मानुसार फल की प्राप्ति।
6- जो सिर दिंछ, उ सेर लैं दिंछ। जो जीवन भर देता है, वही भरण पोषण भी करता है। ईश्वर सबका पालनहार है।
7- जौति हैबेर औति बड़। खर्च से आमदनी बड़ी। आय के अनुरूप ही खर्च करना चाहिए।
8- ज्यून पितर लात, मरी पितर दूद-भात। जीवित पितरों को लात मारी और मरने के बाद दूध-भात चढ़ाया। विवेकहीन कृत्य।
9-टोटि खोरि मोटि न हुनि। फूटी किस्मत अच्छी नहीं होती है। भाग्यहीन व्यक्ति तरक्की नहीं कर पाता है।
10- तात्तै खूं जलि मरूं। गरम खाऊं, जल मरूूं। उतावलापन नुकसानदायक होता है।