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बाघ की दहाड़ और हाथियों की चिंघाड़…रोमांच व डर के बीच यात्रा का आनंद 

Tourism: Jim Corbett National Park

Jim Corbett National Park : ऐसा दृष्य, जिसे बार-बार निहारने का मन करता है। आखिर करे भी क्यों नहीं। जब प्रकृति है ही इतनी सुंदर, चित्ताकर्षक और मनमोहक। इसी प्रकृति को महसूस करते हुए न जाने कितने महान कवि, लेखक व चित्रकार हो गए। उत्तराखंड के ही रहने वाले सुमित्रानंदन पंत( Famous Poet of Uttrakhan Sumitranandan Pant) जिन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि होने की संज्ञा प्राप्त है। जिनकी हर कविता में प्रकृति की खुशबू है। अपनी एक कविता में लिखते हैं… वन वन उपवन, छाया उन्मन-उन्मन गुंजन, नव वय के अलियाें का गुंजन…। और भी बहुत कुछ…।

बात है रामनगर (Ramnagar) के जिम कार्बेट पार्क ( Jim Corbett National Park) के ढिकाला जोन की यात्रा की। इस जोन में प्रवेश करते ही समझ आ गया था कि दुनिया की बेहतरीन जगह पर पहुंच गए हैं। जहां बिल्कुल शांति है। अगर कोई आवाज है भी तो चिड़ियों की चहचहाहट और पत्तियों की सरसराहट। बाघ की दहाड़ और हाथियों की चिंघाड़। बाकी मोबाइल के नेटवर्क तक गायब। न कोई सोशल मीडिया और न ही फोन की घंटी की आवाज। जंगल के नियमों का पालन करते हुए फुसफुसाहट से आगे कुछ नहीं बोलना है। ऐसे में मानसिक सुकून मिलना स्वाभाविक है। बशर्तें की मन आपका अपने साथ हो।

जब मेरे मित्र वन्य जीव प्रेमी व रेड क्रास सोसाइटी नैनीताल के चेयरमैन नवनीत सिंह राणा ( Chairmen Red Cross Society Navneet Singh Rana) साथ में हैं तो मानो जंगल उनके लिए किसी देवता से कम नहीं। वन्य जीव देखते ही एकटक हो जाना,  शांत व स्थिर होकर वन्य जीवों को निहारना, साथ में मोबाइल में कैद करने की उत्कंठा उनकी आदत है। शहरी चकाचौंध को ठुकराकर वह जंगल में रमण करने को हर समय बेताब हो दिखते हैं। इस बार तो उनका 13 वर्षीय पुत्र आदित्य रणबीर सिंह राणा ने तो कमाल ही कर दिया। निर्भिकता के साथ बाघ के करीब होकर भी सहजता से उसकी हर गतिविधि को अपने कैमरे में कैद कर डाला। शानदार फोटोग्राफी। वेल डन बेटा आदित्य।

पहली बार नजदीक से बाघ (Tiger) देख रहा मेरा 10 वर्षीय सुपुत्र चिन्मय व भतीजी प्रियांशी भी निडरता के साथ डटे रहे। आठ साल की वाणी हाथी (Elephent) से तो डर गई लेकिन बाघ को देख मुस्कुराते रही। बड़ों के साथ बच्चों ने भी रोमांच का अनुभव किया। घने जंगल में तरह-तरह के जीव-जंतु नजर आए। हर 10 कदम के बाद पेड़-पौधों की सुगंध अलग ही एहसास करा रही थी। यानी कि 24 घंटे का समय ने तन-मन में मानो ऐसी ऊर्जा भर दी, जो कई दिनों तक टाॅनिक का काम करती रहेगी। शुक्रिया आदरणीय समाचार संपादक श्री आशुतोष सिंह जी ( News Editor Ashutosh Singh) का जिन्होंने मुझे इस यात्रा पर जाने का अवसर प्रदान दिया।  

मेरे लिए तो यह यात्रा महज घूमना भर नहीं, बल्कि प्रकृति के इतने निकट हो जाने की अनुभूति थी जो भीतर से भरती है। तभी तो मनाेचिकित्सक और लेखक पॉल साइमवन लिखते हैं, यात्रा मानसिक स्वास्थ्य के लिए अचूक दवा का काम करती है। अगर आप भी चाहते हैं नौकरी की थकान से कुछ आराम, संबंधों को और उंची उड़ान देना, कच्ची नींद को पक्की करना तो प्लान मत बनाइए, सीधे उठिए और कहीं प्रकृति के बीच घूमने निकल जाइए। सच में दिल से बहुत मजा आएगा।

दैनिक जागरण के चीफ रिपोर्टर गणेश जोशी की फेसबुक वाल से साभार।
वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी सामाजिक मुद्​दों पर बेबाकी से कलम चलाते हैं. दैनिक जागरण में तीखी नजर नाम से साप्ताहिक कॉलम प्रकाशित होता है. सोशल मीडिया में सीधा सवाल सीरीज में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से लेकर मंत्रियों व मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हैं. गणेश जी का स्वास्थ्य व मनोविज्ञान विषय पर सबसे अधिक फोकस रहता है. घूमने के शौकीन हैं।

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