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नई पीढ़ी के लिए इसलिए जरूरी उत्तराखंड आंदोलन का इतिहास को पढ़ना-समझना

History of Uttrakhand Aandolan

प्रसन्नचित्त डेस्क। जिस सोच व समझ पर उत्तराखंड (UTTRAKHAND) का निर्माण हुआ. उसके पीछे की कहानी को नई पीढ़ी को समझना बेहद जरूरी है. क्योंकि इतिहास के बेहतर तथ्यों को आगे ले जाया जा सके और गलतियों को दोहराने से बचा जा सके. ऐसे में जरूरी है कि नई पीढ़ी को उत्तराखंड राज्य के आंदोलन को इतिहास को जानना-समझना. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलन के इतिहास (History of Uttrakhand Aandolan) को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने की घोषणा करना सराहनीय कदम है.
23वें राज्य स्थापना दिवस नौ नवंबर को सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने अस्थायी राजधानी देहरादून में पुलिस लाइन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उत्तराखंड का सपना आंदोलनकारियों के बलिदान व संघर्ष से हुआ. राज्य आंदोलनकारियों का यह बलिदान को आने वाली पीढ़ी याद रखे. इसके लिए उनके इतिहास को पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाएगा.

हालांकि पाठ्यक्रम का स्वरूप क्या होगा? इसे कब तक पढया जाएगा? फिलहाल इस घोषणा में स्पष्ट नहीं है, लेकिन उम्मीद करते हैं कि सरकार के प्रतिनिधि इस घोषणा को साकार करने के लिए मनोयाेग से काम करेंगे, जिससे की जल्द ही छात्र-छात्राओं के हाथ में राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान व संघर्ष की गाथाओं वाली पुस्तकें आ सकें।

रूपांतरण कार्यक्रम से सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता
इस कार्यक्रम में सीएम ने एक और घोषणा की है, उनका कहना है कि विद्यालयों में रूपांतरण कार्यक्रम ( Transformation Programme) चलाया जाएगा. प्रति वर्ष 200 विद्यालयों में यह कार्यक्रम संचालित होगा. अगले पांच वर्ष में एक हजार विद्यालयों को शामिल किया जाएगा. इस कार्यक्रम से जहां शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, वहीं विद्यालयों को सुदृण किया जा सकेगा.

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