जानें दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा ने युवाओं को ड्रग्स के अभिशाप से बचाने के लिए क्या कहा…?
Uttrakhand drug-free
प्रसन्नचित्त स्टेट डेस्क : दून विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि ड्रग्स के अभिशाप से युवाओं को बचाने के लिए दून विश्वविद्यालय प्रयासरत है. इस क्रम में दून विश्वविद्यालय ने ड्रग के प्रभाव से विद्यार्थियों को बचाने के लिए एक टास्क फोर्स गठित की है. यह टास्क फोर्स जागरूकता से संबंधित कार्यक्रम संचालित करने के साथ-साथ दून विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के साथ मिलकर विद्यार्थियों को काउंसलिंग करवाने के लिए प्रेरित करने का काम कर रही है. प्रोफेसर डंगवाल ने विद्यार्थियों से आवाहन किया कि वे 30 अक्टूबर 2022 को होने वाली देहरादून मैराथन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें. यह मैराथन उत्तराखंड पुलिस के द्वारा नशे के प्रति जागरूकता अभियान के तहत आयोजित की जा रही है. नशे के खिलाफ अभियान की सफलता हम सब के सामूहिक प्रयास पर निर्भर है. कुलपति ने कहा कि दून विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग मानसिक स्वास्थ्य के ऊपर अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है और आने वाले समय में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान के विद्यार्थियों को ड्रग डीएडिक्शन के ऊपर सघन प्रशिक्षण देकर उन्हें दून विश्वविद्यालय के अलावा अन्य संस्थानों और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच ड्रग एडिक्शन के ऊपर जागरूकता अभियान चलाएंगे.
आजादी के अमृत महोत्सव एवं विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत दून विश्वविद्यालय में अंतर महाविद्यालय क्विज कंपटीशन का आयोजन किया गया था, जिसकी थीम “ड्रग्स का करें त्याग” (Say No to Drug) थी. इस कंपटीशन में दून विश्वविद्यालय के साथ-साथ डीआईटी, देहरादून, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी एवं डीएवी कॉलेज से मनोविज्ञान के स्टूडेंट्स ने प्रतिभाग किया. दून विश्वविद्यालय के डिजाइन विभाग के विद्यार्थियों के मध्य ड्रग्स से बचाव से संबंधित चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया. मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने कॉलेज जीवन में साथियों के द्वारा दी जाने वाले नकारात्मक टिप्पणियों से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में एक लघु नाटक का मंचन भी किया.
ड्रग्स पैदा करने वाले कुख्यात देशों से घिरा है भारत
प्रोफेसर हर्ष डोभाल ने उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में इस बात को प्रमुखता से रखा की भारत ऐसे पड़ोसियों से घिरा हुआ है जैसे कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और म्यानमार जो ड्रग्स पैदा करने के लिए अनुकूलित और कुख्यात है. नेपाल के साथ खुली सीमा होने के कारण वहां से ड्रग्स सप्लाई और मानव तस्करी की संभावना बनी रहती है. मानसिक स्वास्थ्य पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी और टेक्नोलॉजी के दौर में मानसिक समस्या किसी भी व्यक्ति को और किसी भी आयु में हो सकती है. मानसिक समस्याएं किसी भी को भी हो सकती हैं चाहे वह गरीबी, अमीरी, शिक्षित या अशिक्षित हो. लोगों में इस बात की जागरूकता होनी चाहिए कि मानसिक समस्याएं होने पर वह खुलकर बात करें और मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए आगे आए.
डॉ. सुनीत नैथानी ने कहा कि ड्रग्स लेने के व्यवहार को नियंत्रित करना अति आवश्यक है अन्यथा व्यक्ति नशे का आदी हो सकता है जिसके गंभीर परिणाम होते हैं. विद्यार्थी जीवन में कई बार बहुत से विद्यार्थी अपने जीवन के साथ एक्सपेरिमेंट करना चाहते हैं जिसमें विभिन्न तरह के नशे भी सम्मिलित हैं. विद्यार्थियों को चाहिए कि वह किसी भी प्रकार के समूह के दबाव में ना आए और अपने विवेक से खुद को किसी भी प्रकार के नशे से दूर रखें.
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रीना सिंह ने कार्यक्रम के अंतिम सत्र में मनोवैज्ञानिक परामर्श के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि लोगों के मध्य संवाद होना चाहिए क्योंकि संवाद होने से हमें समस्याओं का पता चलता है. मनोवैज्ञानिक परामर्श लेना उसी तरीके की एक सामान्य प्रक्रिया है जैसे की हम शारीरिक रूप से बीमार होने पर चिकित्सकीय परामर्श लेते हैं.
विद्यार्थियों का रहा अहम योगदान
मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर व कार्यक्रम के आयोजक डॉ. राजेश भट्ट ने बताया कि मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने मेंटल हेल्थ और ड्रग्स से संबंधित इस कार्यक्रम के आयोजन में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. इस पूरे कार्यक्रम को विद्यार्थियों के द्वारा ही संचालन और प्रबंधन किया गया. मानसिक स्वास्थ्य और ड्रग एडिक्शन के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक परामर्श लाभदायक हो सकता है बशर्ते वह सही समय पर और पेशेवर मनोवैज्ञानिक के द्वारा दिया गया हो. उत्तराखंड में पेशेवर और अनुभवी मनोवैज्ञानिकों की काफी कमी है. दून विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग अपने विद्यार्थियों में पेशेवर कौशल को विकसित करने का कार्य कर रहा है और इसी क्रम में अपने विद्यार्थियों को मनोविज्ञान से संबंधित विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रयास कर रहा है. इस कार्यक्रम में मंच का संचालन परास्नातक (मनोविज्ञान) के विद्यार्थी विज्ञानी और सिद्धांत के द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. राशि मिश्रा, यशवी, डॉ. स्वाति सिंह, दीपक, आयुषी, निशिता, बिपाशा, महक, रिदम नेगी, संचित और श्रेया मेहता आदि उपस्थित थे.
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