नशा मुक्ति

हल्द्वानी में खुलेगा सरकारी नशा मुक्ति केंद्र, आखिर क्यों पड़ रही जरूरत?

Uttrakhand drug-free

Uttrakhand drug-free : प्रसन्नचित्त डेस्क। जिस तरह नशावृत्ति तेजी से बढ़ गई है. खासकर युवा इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. इसके लिए जरूरी हो गया है नशा मुक्ति केंद्र.

प्राइवेट स्तर पर नशा मुक्ति केंद्रों की बाढ़ आ गई है. अब उत्तराखंड सरकार ( Uttrakhand Government) भी नशा मुक्ति केंद्र खोलने की तैयारी में जुट गई है। साथ ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 2024 तक उत्तराखंड को नशामुक्त बनाने का संकल्प भी लिया है.

प्रदेश में कुमाऊं (Kumoun) व गढ़वाल( Garhwal) में दो नशा मुक्ति केंद्र खोले जाने हैं. कुमाऊं में नैनीताल ( Nainital) जिले के हल्द्वानी ( Haldwani) में इसकी तैयारी शुरू हो गई है. डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल (DM Dheeraj Singh Garbyal) ने इस संबंध में अधिकारियों की बैठक भी की है. उन्होंने एसडीएम मनीष सिंह व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भागीरथी जोशी को 50 बेड वाले नशा मुक्ति केंद्र बनाने के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए थे.

एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार ने वर्षों से खंडहर में तब्दील होने जा रहे आरटीओ रोड पांडे नवाड़ स्थित एएनएम भवन को नशा मुक्ति केंद्र के लिए प्रस्तावित कर दिया है. उम्मीद है कि इस भवन का उपयोग हो सकेगा और नशा मुक्ति खोलने की दिशा में प्रयास आगे बढ़ेगा.

डीएम का कहना है कि यह कुमाऊं का पहला सरकारी नशा मुक्ति केंद्र होगा. इसमें नशे की गिरफ्त में आ चुके लोगों को भर्ती किया जाएगा. इस केंद्र को बनाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.

समाज कल्याण की होगी अहम भूमिका

नशा मुक्ति केंद्र खोलने में समाज कल्याण विभाग ( Social Welfare) की अहम भूमिका रहेगी. इसके लिए पूरा प्रस्ताव तैयार किया जाना है. डीएम ने इसके लिए समाज कल्याण अधिकारी को निर्देशित कर दिया है.

दरअसल, नशा आज समाज के लिए अभिशाप बन चुका है. आए दिन नशावृत्ति करने वाले लोगों की ओर से अपराध से लेकर आत्महत्या के मामले सुर्खियों में रहते हैं. कई परिवार ऐसे हैं, जो सामाजिक शर्म के चलते इस गंभीर समस्या को छिपाते हैं और घुट-घुट कर जीने को मजबूर रहते हैं. कई परिवार ऐसे हैं, जिनके पास निजी नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज कराने के लिए पैसा नहीं है. इसलिए भी इस तरह के नशा मुक्ति केंद्र की जरूरत पड़ रही है.

मनौवैज्ञानिकों ( Psychologists) का मानना है कि नशे से बचाव के लिए सबसे पहले परिवार स्तर से जागरूकता की जरूरत है. इसके बाद स्कूल स्तर पर भी विशेष अभियान चलाने की जरूरत है. तभी इस घातक सामाजिक समस्या को कम किया जा सकता है.

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