आज विश्व रैबीज दिवस : जानें इसके खतरे से लेकर बचाव के तरीके, उत्तराखंड में क्या है स्थिति?
World Anti Rabies Day
World Anti Rabies Day : प्रसन्नचित्त डेस्क : रैबीज एक जूनोटिक बीमारी है. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है. इसका कारण है लायसा वायरस. मनुष्यों के शरीर में यह घातक वायरस कुत्ते, बिल्ली, बंदरों आदि संक्रमित जानवरों के काटने के बाद प्रवेश करता है. इससे ब्रेन में सूजन भी आने का खतरा रहता है. सबसे अधिक मामले कुते के काटने ( Dog Bite) के ही होते हैं. इस बीमारी से जागरूकता के लिए हर वर्ष 28 सितंबर को दुनिया भर में विश्व रैबीज दिवस मनाया जाता है.
2022 की रैबीज दिवस की थीम
विश्व रैबीज दिवस-2022 ( World Rabies Day) की थीम है ‘Rabies: One Health, Zero Deaths’. यानी कि ‘जीरो बाय 30’ लक्ष्य को प्राप्त करने पर आधारित है. इसका यह तात्पर्य है कि कुत्ते व अन्य जानवरों से फैलने वाले रैबीज से पूरी तरह निपटना संभव है.
इसलिए मनाया जाता है रैबीज दिवस
विश्व रैबीज दिवस फ्रांसीसी जीवविज्ञानी, सूक्ष्म जीव विज्ञानी और रसायन विज्ञानी, लुई पास्चर (Louis Pasteur) की पुण्यतिथि के मौके पर मनाया जाता है, जिन्होंने रैबीज वैक्सीन विकसित की थी.
विश्व रैबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर, 2007 को मनाया गया था. यह आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के साथ एलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, यूएसए (USA) के सहयोग से हुआ था.
क्यों जरूरी है रैबीज दिवस मनाना
जानवरों पर रैबीज के प्रभाव और उससे इंसानों में होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक होना हर जरूरी है. इसलिए इस विश्व स्तर पर रैबीज के बारे में सही जानकारी के लिए विश्व रैबीज दिवस मनाया जाता हे.
पागल कुत्ते के काटने के बाद तुरंत क्या करें
कुत्ता हो या कोई अन्य जंगली जानवर, इनके काटने या नाखून लगाने के बाद घाव के वायरस को जल्द से जल्द हटाना जरूरी है. घाव को तुरंत साफ पानी और साबुन से धो लेना चाहिए और इसके बाद एंटीसेप्टिक का उपयोग किया जा सकता है। ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण की संभावना को कम किया जा सके. 48 घंटे से पहले तक नजदीकी चिकित्सालय में संपर्क करना चाहिए.
जानें रैबीज के खतरे
हल्द्वानी के वरिष्ठ फिजीशियन डा. दिनेश चंद्र पंत के मुताबिक, रैबीज के लक्षण दिखाई देने की समयावधि चार दिनों से लेकर दो वर्ष तक या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकती है. इसलिये इसके खतरे की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.
रैबीज के ये हैं लक्षण
मुंह से तेजी से लार गिरना
तेज बुखार के साथ सिर दर्द
अजीबोगरीब हरकतें करने लगना
व्यावहारिक ज्ञान भी कम हो जाना
मानसिक रूप से विक्षिप्त जैसी स्थिति हो जाना
आक्रामक हो जाना
पानी से भी डरना
पालतू जानवर में रैबीज के लक्षण
बहुत ज्यादा लार बहने की समस्या
आक्रामक होते जाना
हवा में काटने की कोशिश करना
बीमार हो जाना
भोजन करने में दिक्कत महसूस होना
जानवर का अचानक सुस्त हो जाना
लकवाग्रत होना
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक पूरी दुनिया में हर वर्ष 59000 लोगों की रैबीज बीमारी की वजह से मौत होती हैं. इसमें से 90 प्रतिशत लोग रैबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने की वजह से संक्रमित होते हैं. हर 15 मिनट में रैबीज से एक व्यक्ति की मौत होती है. रैबीज से मरने वालों में 10 में से चार बच्चे होते हैं. रैबीज के 40 प्रतिशत मामले 15 वर्ष से कम उम्र बच्चों में देखने को मिलता है.
अगर भारत में देखें तो प्रत्येक वर्ष रैबीज बीमारी से 18000 से 20000 लोगों की मौत हो जाती है. इनमें से अधिकांश संख्या बच्चों की होती है.
केरल की सरकार का नया निर्णय, प्रदेश में खुलेंगे एंटी रैबीज क्लीनिक
सामचार एजेंसियों के मुताबिक दक्षिण भारत में बढ़ते कुत्तों के आतंक से राहत दिलाने के लिए एंटी रैबीज क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक, कुत्ते के काटने से पीड़ित लोगों को इलाज की सभी सुविधाएं एक छत के नीचे उपलब्ध हो सकें। इसके लिए मॉडल क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी.
मेडिकल कालेज व अस्पतालों में खुलने वाले प्रत्येक मॉडल क्लीनिक में घाव को साफ करने के लिए धुलाई क्षेत्र, टीकाकरण की सुविधा और मरहम-पट्टी लगाने के लिए अलग से स्थान होंगे। इसके साथ ही रैबीज रोधी टीका, रैबीज वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता से बनी दवा इम्युनोग्लोबुलिन भी उपलब्ध करवाई जाएगी.
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत
उत्तराखंड (UTTRAKHAND) में स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करने की जरूरत है. हालांकि सरकार की ओर सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन (Anti Rabies Vaccine) उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन इस बीमारी से बचाव को लेकर दूरस्थ क्षेत्रों में अभी और जागरूकता के साथ ही सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है.
जून, 2002 में विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह ने कुत्तों के काटने के मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ( Health Minister Of Uttrakhand Dr. Dhan Singh Rawat) से छह सवाल पूछा था. जवाब में डा. रावत ने कहा था कि पिछले छह महीने में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 47701 एंटी रैबीज वैक्सीन इस्तेमाल किए गए. इसमें 12 हजार से अधिक महिलाएं और 22 हजार से अधिक पुरुष और 13 हजार बच्चे थे.
उत्तराखंड में हर वर्ष एक एक लाख से अधिक एंटी रैबीज वैक्सीन की जरूरत पड़ती है. गर्मी में कुत्तों का आतंक सबसे अधिक रहता है. यहां तक पर्यटक स्थलों पर भी कुत्तों की समस्या बढ़ते जा रही है.
नगर निगम हल्द्वानी स्तर पर कुत्तों का रजिस्ट्रेशन, वैक्सीनेशन कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. खुद भी एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर के जरिये यह काम किया जा रहा है. उत्तराखंड के दूसरे बड़े शहर हल्द्वानी में नगर निगम ने 10 हजार कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है.